रावण और राम का महायुद्ध समाप्त हो चूका था. राम की सेना ने रावण के असुरों को पराजित कर दिया था. वहीँ राम के तीर से घायल रावण मृत्यु शैया पर लेटा अपनी अंतिम साँसे गिन रहा था. भगवान राम जानते थे कि रावण एक महान ग्यानी और पंडित हैं. इसलिए उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को रावण के पास जा कर उस से संसार की निति और राजनीती के कुछ गुण सिखने को कहा था.

राम का कहा मान लक्ष्मण मृत्य शैया पर लेटे रावण के सिर के पास जा कर खड़े हो गए, लेकिन रावण ने कुछ नहीं कहा. इस पर राम ने लक्ष्मण को कहा कि “हे लक्षमण! जब तुम किसी से ज्ञान पाना चाहते हो तो उसके चरणों में शरण लेनी चाहिए.” राम की बात सुन लक्ष्मण इस बार रावण के चरणों में खड़े हो गए और बोले “हे रावण! इस दुनियां को अलविदा कहने से पूर्व मुझे कुछ ज्ञान भरी बातें बताते जाओ.”
इसके बाद रावण ने लक्ष्मण को जीवन बदल देने वाली यह तीन बातें कही…
पहली बात: किसी भी शुभ कार्य को करने में देरी नहीं करनी चाहिए. वहीँ किसी अशुभ कार्य को जितना हो सके टालते रहना चाहिए. मैंने भी भगवान श्री राम के चरणों में आने में देरी कर दी. और इसका नतीजा तुम देख रहे हैं. आज मैं मृत्य शैया पर लेटा अपनी अंतिम सांसे गिन रहा हूँ.
दूसरी बात: अपने दुश्मनों को छोटा समझने की गलती कभी मत करना. मैंने हनुमान और उसकी वानर सेना को कमजोर समझा था लेकिन उन्होंने मेरी लंका को तबाह कर दिया और मेरे शक्तिशाली असुरों को भी पराजित कर दिया. मैंने मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था लेकिन वह मेरी सबसे बड़ी गलती थी.
तीसरी बात: अपने जीवन का कोई भी राज या कमजोरी किसी को मत बताना. मैंने अपना राज विभीषण को बता दिया था और उसका नतीजा तुम अपनी आँखों से देख ही रहे हो.
इतना कह रावण ने मृत्य को गले लगा लिया. तो दोस्तों आप भी रावण के द्वारा कही गई इन तीन काम की बातों को हमेशा याद रखना.