24 साल बाद जेल से छूटा बाप, बेटा बोला इसे फिर भेजो जेल, कारण जानकर हैरान हो जाएंगे आप

दरअसल, ये कहानी है 24 साल से जेल में बंद जयंती प्रसाद की। जयंती प्रसाद ने अपनी उम्र 80 साल बताकर राज्यपाल के यहां दया याचिका दाखिल कर सजा माफ करा ली और जेल से रिहा हो गया। पर अब उसके छोटे बेटे केदारनाथ ने बाप को दोबारा जेल भेजने की ठान ली है। उसका कहना है कि बाप ने अपनी उम्र गलत बताकर माफी पायी है। उसे दोबारा जेल भेजा जाना चाहिये। आखिर बेटा ऐसा क्यों कर रहा है, ये हम आपको बताते हैं।
जेल में बंद पिता ने राज्यपाल के यहां याचिका दाखिल कर बताया कि उसकी उम्र 80 साल हो चुकी है और उसपर दया करते हुए उसपर रहम करते हुए उसकी सजा माफ कर उसे रिहा कर दिया जाय। उसकी याचिका मान ली गयी और 24 साल तक जेल में बंद रहने के बाद आखिरकार परशुरामपुर थानाक्षेत्र के सिरसहवा गांव निवासी जयंती प्रसाद को जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से निकलकर जयंती प्रसाद ने अभी ठीक से खुली हवा में सांस भी नहीं लिया कि उसके अपने छोटे बेटे ने ही उसे टेंशन दे दिया।
छोटा बेटा केदारनाथ अब पिता को फिर से जेल भेजने पर तुल गया है। केदार का आरोप है कि उसके पिता ने सरकार को धोखा देकर अपनी सजा माफ करायी है। दावा किया है कि उसके पिता जयंती प्रसाद की उम्र 80 साल नहीं बल्कि 65 साल है। उसने दया याचिका में अपनी उम्र जो 80 साल बतायी है वो सरासर झूठ है। उसने सरकार के साथ धोखा किया है। उसे दोबारा जेल भेजा जाय। इसके लिये बेटे केदारनाथ ने राज्याल और बस्ती के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर बाप के खिलाफ शिकायत भी की है। उसने लिखा है कि पिता जयंती प्रसाद ने साजिश कर कर अपनी सजा माफ करायी है।
आइये अब आपो बतते हैं वो वजह जिसके चलते एक बेटा अपने बाप को दोबार जेल भेजना चाहात है। दरअसल जयंती प्रसाद ने 1975 में अपनी ही मां की डंडे से पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में वह जेल गया और उसके खिलाफ 19 साल तक मुकदमा चला, जिसके बाद कोर्ट में आरोपी जयंती प्रसाद पर जुर्म साबित हुआ और उसे आजीवन कारावास की सजा दी। लोअर कोर्ट के बाद 1994 में हत्यारोपी जयंती प्रसाद की आीजवन कारावास की सजा हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखी। 24 साल बाद 2019 में जयंती लाल ने अपनी उम्र 80 साल बताते हुए जिंदगी के आखिरी दिन परिवार के साथ गुजारने के लिये राज्यपाल के यहां दया याचिका दाखिल की और वहां से उसे रहम और रिहाई मिल गयी।
केदारनाथ को इस बात का पता छह महीने बाद चला कि उसके पिता ने अपनी उम्र 80 सालबताकर रिहाई पायी है। उसका दावा है कि पिता उसकी पत्नी पर बुरी नीयत रखता है। मना करने पर धमकी देता है कि तुमहरी मां की तरह तुम्हारी भी हत्या कर दूंगा। उसे अपने पिता से डर है, क्योंकि हत्या करना उसके लिये बड़ी बात नहीं। केदारनाथ ने बताया कि उसने जब जेल के अधिकारियों से बात की तो उसे पता चला कि पिता की फाइल में जो परिवार रजिस्टर की नकल लगायी गयी है, उसमें उसकी पिता जयंती प्रसाद की जन्मतिथि एक जनवरी 1939 दर्ज है, जबकि उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र में उम्र 31 जनवरी 1954 दर्ज है। 
इसके अलावा सरकारी स्कूल के प्रमाण पत्र भी मौजूद हैं। पिता जयंती प्रसाद ने जगदीशपुर परशुरामपुर में आठवीं पास किया था, लेकिन रजिस्टर में खेल करके रिहाई होने के मकसद से फर्जी प्रमाण पत्र लगाए गए। इसके बाद केदारनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखा, जिसमें गुहार लगायी है कि उसके पिता गलत प्रमाण पत्रों के आधार पर दया याचिका पर छूटे हैं। उनके प्रमाण पत्रों की दोबारा जांच कराकर उनकीसही उम्र का निर्धारण किया जाय ताकि अपनी मां की हत्या करने वाला पिता फिर किसी घटना को अंजाम न दे सके।
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