जबलपुर के ज़िला विक्टोरिया अस्पताल में मरे हुए आदमी को फिर मार दिया गया.अस्पताल के मुर्दाघर में एक महीने तक एक लाश सड़ती रही, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. लाश में से कीड़े टपकने लगे लेकिन फिर भी स्टाफ बेपरवाह बना रहा. वो तो भला हो समाजसेवी इनायत अली का कि उनकी नज़र इस पर पड़ गयी.
अपनों को कोई ख़बर नहीं, परायों को क्या है इसका परवाह
क्या कभी लाश का भी क़त्ल हो सकता है ? जबलपुर के विक्टोरिया अस्पताल में वो भी हो गया. यहां की मॉर्च्यूरी में एक लावारिस लाश अपने अंतिम संस्कार का इंतज़ार करते-करते थक गयी. ना कोई अपना आया औऱ ना ही परायों ने उसकी सुध ली. लाश को चट करने कीड़े ज़रूर पहुंच गए . लाश इतनी पुरानी थी कि वो बुरी तरह सड़-गल चुकी है. उसकी हालत देखकर लग रहा है कि वो करीब 1 महीने से ज़्यादा पुरानी थी.
शहर की एक सामाजिक संस्था ग़रीब नवाज़ कमेटी लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करती है. संस्था के मालिक इनायत अली जब ऐसी ही लावारिश लाश को मुर्दाघर में रखने पहुंचे तो उनकी नज़र पड़ोस के फ्रीजर पर पड़ी. उनके रोंगटे खड़े हो गए. मुर्दाघर में रखे उस फ्रीजर से कीड़े बिलबिलाते हुए नीचे टपक रहे थे. इनायत अली ने फौरन फ्रीज़र खोला तो देखा कि उसमें एक बुरी तरह सड़ी-गली लाश रखी थी.
उसके शरीर से अलग हो गए थे चमड़ी और सारे हड्डियां
शरीर से हड्डियां और चमड़ी अलग हो चुके थे. लाश पर कीड़े बिलबिला रहे थे. कीड़े इतने ज़्यादा हो चुके थे कि पूरे फ्रीजर में फैल गए थे और नीचे टपकने लगे थे. लाश की हालत देखकर लग रहा था कि वो महीने भर से ज़्यादा पुरानी है. उस मृत व्यक्ति का ना तो कोई नाते-रिश्तेदार आया था और ना ही मुर्दाघर के रिकॉर्ड में उसकी एंट्री की गयी थी. पुलिस को भी इसकी सूचना नहीं दी गयी थी. ग़रीब नवाज़ कमेटी ने अस्पताल प्रशासन को ख़बर दी. अब पोस्टमॉर्टम सहित तमाम औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. उसके बाद कमेटी लाश का अंतिम संस्कार करेगी.