एकादशी के दिन चुपचाप यहां रख दें 10 का एक सिक्‍का आएगा इतना पैसा कि संभाल नहीं पाओगे




सावन का महिना चल रहा है इस पूरे माह के विशिष्ट त्योहारों में से एक है पुत्रदा एकादशी। जैसा कि इस त्‍योहार का नाम है उसी अनुसार ये त्‍योहार निःसंतान व्यक्ति को संतान सुख प्रदान करती है। ये एकादशी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। इस व्रत को करके स्‍त्री पुरूष दोनों ही समान रूप से मनोवांछित फल पा सकते हैं। इस व्रत के द्वारा व्‍यक्ति भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकता है। पूरे जगत के रखवाले भगवान विष्‍णु है इसलिए ये व्रत करके मनोकामना पूर्ण वरदान मिलता है।


पुत्रदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में काफी अहम स्थान रखता है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। एक बार पौष माह में और दूसरी बार सावन में। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को पापनाशिनी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये व्रत 3 अगस्त को यानि आज है।

आइए जानते हैं इस व्रत की विधी

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है। इसे करने के लिए सबसे पहले आपको दशमी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए तथा रात को पूजा स्थल के समीप सोना चाहिए। पूरे दिन व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की श्रद्धाभाव से आराधना करनी चाहिए। अगले दिन सुबह उठकर स्नान के बाद व्यक्ति को पुष्प, धूप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करते समय पूजा में एक 10 रूपए का सिक्का रखे और उसके साथ इस मंत्र का जाप करें– “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फल अर्पित करे और 10 रूपए का प्रसाद गरीबो में बाँट दे।
साथ में भगवान विष्णु को भोग लगाकर पंडित को भोजन करने को बाद स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिए। विष्णु का आशीर्वाद इससे आपको अवश्य ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा और आपको पुत्ररत्न की प्राप्ति होगी। ऋषि के कथानानुसार राजा महीजीत ने रानी समेत पूरी श्रद्धा से पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत के फलस्वरूप समय आने पर उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। तभी से सावन मास की यह एकादशी पुत्रदा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
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