हर साल की भांति इस वर्ष भी हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी आने वाला है। इसे परिवर्तिनी एकादशी व डोल ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान वामन की पूजा की जाती है लेकिन वहीं कुछ स्थानों पर ये दिन भगवान श्रीकृष्ण का सूरज पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह एकादशी 2 सितंबर, यानि शनिवार को है और खास बात ये है कि इस बार की एकादशी बडा ही खास है।

कहा जाता है कि यमराज अगर मृत्यु के देवता हैं तो शनि कर्म के दंडाधिकारी हैं यानि जाने अनजाने में हुई कोई भी गलती हुई है तो आपको दण्ड तो भोगना ही पड़ता है। साथ में ये भी माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पर शनि की ढैया या साढ़ेसाती से ग्रस्त हो या फिर कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव के कारण वो किसी न किसी रोग से पीड़ित रहता हैं।
लेकिन खास बात बता दें कि इस सिंतबर को 101 साल बाद ऐसा योग देखने को मिल रहा हैं। यानि इस योग में आप कुछ उपाय करके शनि भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं ताकि आपके जीवन में सुख और समृद्धि का हमेशा हमेशा के लिए बनी रहे और साथ ही सारी समस्याएं भी खत्म हो जाए। इस उपाय को जैसे बताया जा रहा है अगर वैसे करें तो आपको जरूर चमत्कार देखने को मिलेगा।
हम सभी जानते हैं कि शनि भगवान को काले रंग और सरसो के तेल का बहुत प्रिय है इसीलिए उनके पूजन में हम इसका प्रयोग करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं शनि ग्रह का भगवान शनिदेव से क्या संबंध है? तो आपको बता दें कि शनिग्रह और शनिदेव दो अलग-अलग है, शनिग्रह को शनिदेव नहीं कहते हैं वहीं शनि ग्रह के अधिपति देव भगवान भैरव हैं।