इस शख्‍स को साइकिल छोड़ हेलीकॉप्‍टर से चलने का आया आइडिया, अब पेंशन से भरेंगे हेलीकॉप्टर का किराया

विद्वान कहते हैं कि सपने जरूर देखो और फिर उसे पूरा करने के लिए शिद्दत से जुट जाओ। कुछ ऐसी ही कहानी है राजकीय उच्च विद्यालय से चतुर्थ श्रेणी कर्मी के रूप में सेवानिवृत हुए ‘गंगा’ पुत्र कूड़े राम की कहानी। कूड़े राम ने सेवानिवृत्ति से सात माह पूर्व जनवरी-2019 में सपना देखा और जब उड़न खटोले (हेलीकॉप्टर) में बैठकर विद्यालय से घर पहुंचने का सपना पूरा हुआ तो हर किसी की जुबान पर उनके किस्से के चर्चे है। कहानी के पात्र का नाम थोड़ा सा अटपटा जरूर है पर इसके पीछे भी रोचक किस्सा है।

गंगा जी से जुड़ा है कूड़े राम की जिंदगी की कहानी
तिगांव खंड के गांव सदपुरा निवासी सरपंच शिवराम के अनुसार, उनके बड़े भाई कूड़े राम के जन्म लेने से पूर्व पिता मेदीराम-माता धनवंती की 12 संतान हुई, पर कोई भी लंबी उम्र तक जीवित न रह सका। इस पर गांव के ही बुजुर्ग ने माता-पिता को सलाह दी थी कि अबकी जब कोई संतान हो, तो उसे एक बार गंगा जी ले जाना और नाम अटपटा सा रखना। इस बार बच्चे का जन्म हुआ तो माता-पिता गंगा स्नान को हरिद्वार गए। वहां नवजात का स्नान कराया गया और उसका नाम कूड़े राम रखा। इसके बाद गंगा मां की कृपा हुई और कूड़े राम ने लंबी उम्र पाई और फिर दूसरे बच्चे शिवराम का भी स्वास्थ्य ठीक रहा।

रिटायर होने पर आया विचार, सेवानिवृत्ति पर हेलीकॉप्टर में बैठूंगा
पूरी जिंदगी घर से विद्यालय तक साइकिल पर आवागमन करने वाले कूड़े राम ने बताया कि जनवरी-2019 में एक दिन अपने घर की बैठक (चौपाल) में लेटे थे, तब उनके मन में विचार आया कि सात माह बाद जब सरकारी सेवा पूरी हो जाएगी, तो विद्यालय से घर तक हेलीकॉप्टर में बैठ कर जाने की तमन्ना है। मार्च में कूड़े राम ने बेटों व भाई से इसका जिक्र किया। शिवराम के अनुसार, उनके माता-पिता की मृत्यु होने के बाद बड़े भाई ने परिवार का ठीक से लालन-पालन किया। ऐसे में उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए सभी जुट गए।

गूगल पर सर्च कर लिया जानकारी
दोनों भाइयों ने गूगल पर सर्च कर हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराने वाली दिल्ली में गिरिक कंपनी का रुख किया। कंपनी अधिकारियों ने नीमका गांव से सदपुरा तक के हवाई रास्ते और परिवार के अन्य 22 सदस्यों को भी हेलीकॉप्टर में बैठा कर गांव के आठ चक्कर लगवाने का सवा तीन लाख रुपये का खर्चा बताया।

50 हजार रुपये जमा भी करवाया
इस पर दोनों भाइयों ने 50 हजार रुपये अग्रिम जमा करवा कर अनापत्ति प्रमाण की कार्रवाई में जुट गए। सारी कार्रवाई पूरी होने के बाद 30 जुलाई को वो पल भी आ गया, जब कूड़े राम की विद्यालय से सेवानिवृत्ति हुई। नजदीक के राजा जैत सिंह स्टेडियम के मैदान पर बने हेलीपेड पर खड़े हेलीकॉप्टर में कूड़े राम भाई शिवराम के साथ बैठे और गांव पहुंचे।

ग्रामीणों में बन गए कौतूहल के विषय
ग्रामीणों के लिए भी यह कौतूहल भरे पल थे, क्योंकि पहली बार गांवों में उड़न खटोला आया था। गांव में ही परिवार के बेटे-बहुओं, नाती-पोतों को भी हेलीकॉप्टर में बैठ कर सैर करने का मौका मिला। खास बात यह भी रही कि हेलीकॉप्टर की पायलट महिला थी।

रिश्तेदारों से ले लिया उधार, अब उसे पेंशन से चुकाएंगे
कूड़े राम के सपने को पूरा करने के लिए भाई व बेटों ने कुछ रुपये का इंतजाम स्वयं किया और कुछ नजदीकी रिश्तेदारों से उधार लिए। कूड़े राम को अब प्रति माह 20 हजार रुपये पेंशन के मिलेंगे। इसी राशि से धीरे-धीरे करके उधार की रकम चुकाएंगे।
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