दरअसल, काशी में बड़े बड़े साधु संत वहाँ पर आयोजित परम धर्म संसद 1008 में हिस्सा लेने के लिए गए हैं, ऐसे में वहां सबकी नजर एक लड़की पर टिकी, जोकि हाल ही में साध्वी बनी है। मामला यह नहीं है कि वह साध्वी बनी है, बल्कि यह है कि उसने एक प्रतिष्ठित कंपनी की लाखों की सैलरी छोड़कर वैराग्य में मन लगाया है।
गूगल में करती थी जॉब
ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद गूगल में एक साल से नौकरी करती थी, जहां पर उनकी मासिक सैलेरी लाखों रूपये थी। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिरी ऐसा क्या हुआ कि इन्हें गूगल की नौकरी छोड़ करके साध्वी बनना पड़ा? इसका राज खोलने से पहले हम आपको बताते हैं कि इनकी शिक्षा क्या थी?
बड़े कारोबारी की बेटी हैं ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद
ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद कारोबारी की बेटी हैं, जिन्होंने शुरू से ही इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई की है। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया और फिर सीएस की पढ़ाई की। सीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद इनकी नौकरी गूगल में लगी। गूगल में इन्होंने एक साल तक काम किया, लेकिन इनका मन धीरे धीरे ईश्वर में लगने लगा। तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद साध्वी कैसे बन गई, जिसकी चर्चा नीचे है।
ऐसे बनी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद ‘साध्वी’
साध्वी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि स्कूली शिक्षा और कॉलेज के दौरान वह अक्सर माता-पिता के साथ मंदिरों और गुरुमाता के यहां आती जाती रहीं हैं, जिसकी वजह से उनका धीरे धीरे मन वैराग्य में लगने लगा और इस दौरान जब वह साध्वी बनी तब भी अपनी माता के साथ गुरू माता के यहां गई थी। ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद का कहना है कि जब उन्होंने साध्वी बनने की बात कही तो मां तुरंत राजी हो गई, लेकिन पिता को मनाना मुश्किल था, ऐसे में गुरूमाता की सलाह पर उनके पिता भी मान गए और वह साध्वी बन गई।