पूरी दुनिया में शादी का बहुत ही ज़्यादा महत्व होता है। हर व्यक्ति के लिए शादी एक बड़ा समय होता है। लोग इसके लिए महीनों पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। लड़की को या लड़का दोनो के लिए शादी बहुत ही रोमांचित करने वाला पल होता है। लड़की अपने शादी का बचपन से इंतज़ार करती है। वह अपनी शादी को ख़ास बनाने के बारे में भी विचार करती है। भारत में शादियाँ पुरानी परम्परा के हिसाब से की जाती हैं। आज भी भारत में यही परम्परा है कि दूल्हा ही बारात लेकर दुल्हन के घर जाएगा।
शायद ही आपने पहले कभी देखा हो ऐसी अनोखी शादी
ऐसा तो आपने आमतौर पर हर जगह होते हुए देखा होगा। लेकिन आज हम आपको जिसके बारे में बताने जा रहे हैं, आपने ऐसा शायद ही पहले कभी देखा होगा। क्योंकि ऐसा सामान्यतौर पर होता ही नहीं है। जी हाँ दरअसल पटना में एक ऐसी अजीबो-ग़रीब अनोखी शादी हुई है, जिसमें दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर पहुँची। आप सोच रहे होंगे कि शायद मामला गड़बड़ हो गया होगा, इसलिए लड़की ने ऐसा किया होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ ग़लत नहीं हुआ था।
समाज की पुरानी परम्परा को बदलने के लिए अनोखी शादी
लड़की ख़ुद ऐसा चाहती थी कि सदियों से यही परम्परा चलती आयी है कि हमेशा लड़के ही बारात लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार इसमें बदलाव हो और इस परम्परा को बदला जाए। इस परम्परा में लड़की बारात लेकर लड़के के घर जाए और लड़की ने ऐसा ही किया। लड़की ने अपनी शादी को ऐसे ही ख़ास बना दिया। जानकारी के अनुसार स्नेहा राय नाम की एक लड़की जो मुंबई के एक प्राइवेट बैंक में ब्रांच सर्विस मैनेजर है, उसनें अनिल कुमार नाम के लड़के से शादी की। अनिल भारतीय नेवी में लेफ़्टिनेंट कमांडर है और विशाखपत्तनम में तैनात है।
लड़की के सगे-सम्बंधी भी जमकर नाचे फ़िल्मी गानों पर
दोनो की शादी शनिवार को पटना के दानापुर में एक मैरिज हॉल में सम्पन्न हुई। दुल्हन बनी स्नेहा तय कार्यक्रम के अनुसार तैयार हुई और अपनी सहेलियों के साथ रथ पर बैठ गयी। इसके बाद स्नेहा की बारात ढ़ोल-नगाड़ों के साथ मैरिज हॉल की तरफ़ निकली। हालाँकि इस दौरान बारात में सभी कुछ लड़कों वालों की बारात की तरह ही हो रहा था। स्नेहा के सगे-सम्बंधी फ़िल्मी गानों की धुनों पर जमकर डान्स भी कर रहे थे। दूसरी तरफ़ अनिल स्नेहा का इंतज़ार करते हुए दिखाई दिए। जब बारात मैरिज हॉल पहुँची तो अनिल दुल्हन का हाथ पकड़कर स्टेज पर ले गए।
स्नेहा के परिवार वाले ख़ुद भी नहीं मानते हैं समाज के पुराने एयर जटिल रीति-रिवाजों को
इसके बाद सभी कार्यक्रम पहले ही तरह ही हुआ। जयमाल के बाद शादी का कार्यक्रम हुआ। स्नेहा ने अपने बारे में बताया कि हम तीन बहने हैं और हमारे परिवार ने हमें ऐसे ही संस्कार दिए हैं जो समाज में आमतौर पर लड़कों को दिए जाते हैं।
हम तीनों बहनों ने ही अपने कैरियर का चुनाव किया लेकिन अपने माँ-बाप की सहमति से। मेरे घर वाले समाज के पुराने रीति-रिवाजों को ख़ुद नहीं मानते हैं। हमारे माँ-बाप ने समाज के बंधनों से मुक्त रखा। अनिल ने बताया कि स्नेहा के इस फ़ैसले से हमारे परिवार को ख़ुशी मिली। अनिल ने बताया कि इससे अच्छा क्या हो सकता है कि उसकी पत्नी अपने फ़ैसले स्वयं ले।