आज के समय में पढ़ाई लिखाई को लेकर अत्पयधिक प्हरतिस्लेपर्धा हो चुकी है। बच्चे आजकल अपनों हमजोली में खेलने कूदने की अपेक्षा दिन भर पढ़ाई में लगे रहते हैं और माता पिता की उम्मीदें बच्चों से इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं कि उनका बचपन कहीं खोता जा रहा है। अगर बच्चे का रुझान पढ़ाई लिखाई के अलावा किसी अन्य क्षेत्र में होता है तो वह पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन कर्ण नहीं पाता और दबाव में कई बार अनुचित कदम भी उठा लेता है।
लेकिन आज हम आपको एक ऐसी पिता के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने आज के समाज में एक मिसाल पेश की है। मध्य प्रदेश के रहने वाले इस पिता की सोच समाज से अलग है। सरस्वती शिशु मंदिर में पढने वाला आशु व्यास दसवीं की परीक्षा में 6 में से 4 विषयों में फेल हो गया था। घर पहुँचने पर वह बेहद परेशान नज़र आ रहा था। पिता ने अपने बेटे को देखकर तुरंत समझ गया और उसको डांटने मारने की अपेक्षा उसके परीक्षा देने परही पूरे मोहल्ले में मिठाई बटवाई, जलूस निकलवाया और खूब आतिशबाजी की। जब आशु के चेहरे पर से तनाव खत्म हो गया तो पिता ने चैन की सांस ली।
पूछे जाने पर उन्होंने बताया की आज के समय में मैंने कई ऐसे किस्से सुने हैं जिसमे बच्चे फेल होने के कारण अनुचित कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। मैं नहीं चाहता था कि मेरा बेटा भी कुछ ऐसा ही करे इसीलिए मैंने ऐसा किया। वह अपने जीवन में खुश रहे बस मैं इतनी ही कामना करता हूँ। सच में यह एक आदर्श पिता की मिसाल है, जिससे हम सभी को सीख लेनी चाहिए।