ग्वालियर के हजारी क्षेत्र में सुशीला राजावत अपने नाती की बहुत जूली के साथ रहती थी। उसका नाती बाहर काम करता था। इसलिए वह तीज त्यौहार पर ही घर आ पाता था। जूली के दो बच्चे भी थे। दो बच्चों के बाबजूद भी जूली बहुत ही खूबसूरत और जवान थी। उसकी जवानी को देखकर अक्सर आसपास के लड़के आहें भरते रहते थे। जूली भी अपनी जवानी को कब तक बचाती। एक दिन उसकी नजर पास के ही रहने सुभाष से लड़ गई। सुभाष भी बहुत खूबसूरत और जवान था। उसकी अभी शादी नहीं हुई थी। दूर -दूर की मोहब्बत कब करीब आ गई। जूली को पता ही नहीं चला। अब जब भी मौक़ा मिलता सुभाष जूली के घर आ जाता और दोनों अपने प्यार में डूब जाते। दोनों मीन इतना प्यार हो गया कि उन्होंने एक साथ जीने मरने की कसमें भी खा ली। अब दोनों का एक दूसरे से दूर रहना नामुमकिन सा हो गया था।
एक दिन सुभाष और जूली प्यार के आगोस में थी तभी जूली की सास सुशीला आ गई। सुशीला ने यह सब देखा तो उसके होश उड़ गए। उसने सुभाष को बहुत ही बुरा भला कहा और साथ ही जूली को भी धमकी दी कि वो ये सभी बातें अपने नाती को बता देगी। जूली सुशीला के आगे माफी मांगती रही। आखिरकार सुशीला ने भविष्य में ऐसा न करने की हिदायत के साथ जूली को भी माफ़ कर दिया। इसके बाद सुशीला, जूली पर नजर रखने लगी। कुछ दिन तक सब कुछ शांत रहा किन्तु फिर जूली और सुभाष के अन्दर मिलने की आग भड़कने लगी किन्तु रास्ते का काँटा उसकी सास सुशीला बन रही थी।
4 अक्टूबर 2019 को जूली ने एक प्लान बनाया। उसने सुबह अपने बच्चों को स्कूल भेजा और वापस आकर धोखे से सुशीला को नींद की गोलियां खिला दीं। जब सुशीला पूरी तरह से बेहोश हो गई तो जूली ने अपने हाथों में दस्ताने पहनकर सुशीला का गला घोट दिया। वह बीस मिनट तक उसे बार-बार देखती रही कि कहीं वो जिन्दा तो नहीं है। इसके बाद जूली ने सुशीला की लाश को ठिकाने लगाने का सोंचा किन्तु उसी बींच वह आंगनवाडी कार्यकत्री आ गई। इसी जल्दबाजी में जूली अपनी सास ली लाश को छोड़कर भाग गई। काफी मशक्कत के बाद 6 अक्टूबर 2019 को पुलिस ने जूली को गिरफ्तार कर लिया। जूली ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है और इस समय पुलिस की हिरासत में है।